Anil Ambani का रिलायंस समूह और यस बैंक का 2,850 करोड़ रुपये का घोटाला: ED ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में की बड़ी कार्रवाई

On: Friday, July 25, 2025 11:43 AM

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Anil Ambani reliance group
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 Anil Ambani के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह और यस बैंक के बीच 2,850 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेन-देन को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जांच शुरू कर दी है। यह मामला विशेष रूप से यस बैंक द्वारा जारी किए गए AT-1 बॉन्ड्स (Additional Tier-1 bonds) से जुड़ा हुआ है, जिन्हें रिलायंस म्यूचुअल फंड (RMF) ने खरीदा था। इन बॉन्ड्स में पारंपरिक बांड्स से अलग एक विशेषता है—इनमें कोई निश्चित म्यूच्युअल डेट (मच्योरिटी) नहीं होती और निवेशकों को प्रिंसिपल की वापसी नहीं मिलती, लेकिन लगातार उच्च ब्याज मिलता रहता है।
मामले की जांच और खुलासे

प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि रिलायंस म्यूचुअल फंड के द्वारा खरीदी गई बॉन्ड्स को बाद में पूरी तरह से लिख दिया गया था और यह पैसा निवेशकों से हड़प लिया गया था। प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सूत्रों के मुताबिक, यह पैसा अब तक के सबसे बड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में से एक हो सकता है। इसके अलावा, सीबीआई भी इस मामले में जांच कर रही है।

ED ने SEBI (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) की सूचना के आधार पर यह खुलासा किया कि रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने भारी मात्रा में धन को इंटर-कोर्पोरेट डिपॉजिट्स (ICD) के रूप में रिलायंस समूह की अन्य कंपनियों में स्थानांतरित किया। ICDs वे ऋण होते हैं जो एक कंपनी दूसरी को देती है। जांच में यह भी पाया गया कि रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने इन लेन-देन को छिपाने के लिए एक अज्ञात कंपनी ‘C’ का इस्तेमाल किया, जिसे अपने संबंधित पक्ष के रूप में घोषित नहीं किया गया था। इस तरह की शंकास्पद गतिविधियों के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया था कि वे पारदर्शिता से बच सकें और शेयरधारकों और लेखा समिति से जांच से बच सकें।

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नुकसान और धन की वसूली की स्थिति

जांच में यह सामने आया कि रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने ₹5,480 करोड़ का नुकसान उठाया था, जबकि केवल ₹4 करोड़ ही नकद के रूप में प्राप्त हुए थे। इससे भी बुरा यह था कि ₹6,499 करोड़ का समझौता कुछ असफल कंपनियों के बकाए के रूप में किया गया था, जो अब पूरी तरह से नष्ट हो चुकी हैं और इनमें से अधिकांश कंपनियां अब व्यापार में सक्रिय नहीं हैं। इन कंपनियों में कोई परिचालन नहीं है और इनसे धन की वसूली की संभावना काफी कम है।

ED का बड़ा ऑपरेशन: मुंबई में 35 स्थानों पर छापे

प्रवर्तन निदेशालय ने मुंबई में 35 से अधिक स्थानों पर छापेमारी की, जो 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों से जुड़े थे। इन छापों का उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच करना था। जांच की शुरुआत 2017 और 2019 के बीच यस बैंक द्वारा दिए गए संदिग्ध लोन से जुड़ी थी, जिनकी कुल राशि लगभग ₹3,000 करोड़ थी। ED के मुताबिक, इन लोन को शेल कंपनियों और Anil Ambani के रिलायंस समूह की अन्य इकाइयों में डायवर्ट किया गया था।

क्या है यस बैंक की भूमिका?

जांच के दौरान यह पाया गया कि यस बैंक द्वारा लोन की मंजूरी देने की प्रक्रिया में कई खामियां थीं। लोन जारी करने के पहले और बाद में अनुशासनहीनता पाई गई, जिसमें दस्तावेज़ों की तारीखों में हेरफेर, लोन के मंजूर होने से पहले ही धन का वितरण, और लोन के लिए अपर्याप्त बुनियादी वित्तीय जांच शामिल थी। इसके अलावा, बैंक के अधिकारियों के बीच रिश्वतखोरी के संकेत भी मिले हैं, जिसमें बैंक के प्रमोटरों का भी नाम शामिल है।

Anil Ambani का रिलायंस समूह का बचाव: कारोबार पर कोई असर नहीं

Anil Ambani के रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि इस जांच का उनके व्यवसायों पर कोई असर नहीं पड़ा है। दोनों कंपनियों ने एक समान बयान में कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स में जो आरोप लगाए गए हैं, वे रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) और रिलायंस होम फाइनेंस (RHFL) से संबंधित पुराने लेन-देन से जुड़े हैं और इनका उनके वर्तमान ऑपरेशंस से कोई संबंध नहीं है।

शेयर बाजार पर असर: Anil Ambani के रिलायंस पावर और इंफ्रास्ट्रक्चर के शेयरों में गिरावट

ED द्वारा की गई छापेमारी और जांच के परिणामस्वरूप Anil Ambani के रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर के शेयरों में भारी गिरावट आई है। दोनों कंपनियों के शेयरों में 5% की गिरावट आई, जो BSE पर उनके निचले सर्किट लिमिट को छूने के लिए पर्याप्त था। इन कंपनियों के शेयरों में पिछले दो दिनों में 10% की गिरावट देखी गई है, जो निवेशकों के बीच चिंता का कारण बन रही है।

 मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी के आरोपों के बीच Anil Ambani के रिलायंस समूह की छवि पर सवाल

Anil Ambani के रिलायंस समूह और यस बैंक के बीच के वित्तीय लेन-देन को लेकर चल रही जांच कई सवालों को जन्म देती है। ED और CBI की जांच के बाद यह स्पष्ट होता जा रहा है कि इस मामले में गहरी वित्तीय गड़बड़ियां हो सकती हैं। हालांकि, रिलायंस समूह ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है, लेकिन इन घटनाओं का असर उनके शेयरों और निवेशक विश्वास पर साफ तौर पर देखा गया है।

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इस लेख में प्रदान की गई जानकारी विभिन्न सार्वजनिक स्रोतों और समाचार रिपोर्टों पर आधारित है, जो लेखन के समय उपलब्ध थीं। यह सामग्री केवल सूचना प्रदान करने के उद्देश्य से है और इसे कानूनी, वित्तीय या पेशेवर सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। जबकि जानकारी की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किया गया है, हम किसी भी डेटा की पूर्णता, विश्वसनीयता या समयबद्धता की गारंटी नहीं देते हैं। पाठकों से निवेदन है कि वे सभी विवरणों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि करें और किसी विशेष चिंता या सलाह के लिए संबंधित विशेषज्ञों या अधिकारियों से परामर्श करें। इस लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं और यह आवश्यक नहीं कि यह संगठन के विचारों को दर्शाते हों।

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